भारतभूमि की न सिर्फ शिक्षा बल्कि भौगिलिक स्थिति भी किसी वरदान से कम नही

भारत भूमि को महापुरषों की भूमि कहा जाता है क्योंकि यहां अनेकों महापुरुषों ने जन्म लिया है और उनकी बताई शिक्षायों के कारण ही भारतीय संस्कार विश्व की अन्य संस्कृतियों से अलग और काफी गहरी सोच वाले है।

भले ही आजकल कुछ लोग विदेशी सोच के कारण स्त्री को भोग की वस्तु समझने लगे है लेकिन भारत मे नारी को जो सम्मान मिला वह अन्यत्र किसी भी देश मे नही मिल सका। हम कुछ सदियों पहले का ही इतिहास खंगाल लें चाहे वो महाराजा हर्षवर्धन के समय की बात और या फिर महाराजा विक्रमादित्य या चंद्रगुप्त के समय की स्त्री को हमेशा ही पुरुषों के समान या फिर उससे भी ऊपर देवी का दर्जा दिया गया है।

चलिए यह तो हुई प्राचीन समय मे शिक्षा की बात, भारत न सिर्फ शैक्षिक स्तर पर ही सबसे बढ़िया रहा बल्कि भौगोलिक दर्जे में भी यह सबसे श्रेष्ठ देशों में से एक है।

भारत मे भले ही लोग 4-3 डिग्री तापमान को काफी अधिक मानते हो, लेकिन भारत पर तो कुदरत भी मेहरबान है। भारत की रक्षा स्वयं हिमालय महापर्वत कर रहा है, जिसके कारण जहां पर ठंड भी अपना अधिक कहर नही धा पाती।

अगर हम अपने सबसे करीबी पड़ोसी देश चीन की ही बात करें तो वहां के कई रहशी इलाकों में तापमान शून्य से भी 20-30 डिग्री नीचे तक चला जाता है और ठंड इतनी, जितनी हम भारत के रहशी लोग सोच भी नही सकते। भले ही चीन विज्ञान में काफी आगे है लेकिन फिर भी अभी तक उसके पास ऐसा विज्ञान नही जो ठंड को काबू कर सकें लेकिन हम भारतवासी कितने भाग्यशाली है जो इसकी रक्षा स्वयं पर्वतराज हिमालय कर रहे है।

सच मे धन्य है भारतभूमि जो न सिर्फ अपनी सोच/शिक्षायों के कारण विश्वगुरु कहलाती है बल्कि भौगोलिक स्थिति भी इसकी किसी वरदान से कम नही।