हमारे और दुसरो के नजरिये में फर्क

Hmare Aur Dusro Ke Najariye Me Fark

हम अपने आपको अपनी नीयत के अनुसार देखते है,
जबकि दूसरे लोग हमे हमारे कार्यो द्वारा देखते है ।

इसलिए यह जरूरी है कि अगर हम इस संसार की संसारिक्ता में रह रहे है तो अपनी नीयत के साथ-साथ अपने कार्यो पर भी ध्यान रखे और उन्हें भी भली प्रकार से संपन्न करे ।

कई बार हम सिर्फ हमारी अपनी सोच के अनुसार ही कार्य करने लग जाते है । अगर हमे लगता है ,हम सही तो ,तो वह कार्य जरूर कीजिये ,लेकिन अपने करीबी लोगों को मत भूलिए । अगर वो आपको कुछ कहते है और आपको लगता है कि वह लोग गलत है ,तो आप उन्हें समझाइये कि आप जो करने जा रहे है या कर रहे है वह बिलकुल सही है ।

चाहे हम सही ही क्यों न हो ,अगर हम अपने करीबी सज्जनो को एकदम से नजरअंदाज करेंगे ,तो यह बात गलत है । उन्हें भी समझे कि वह हमारे भले के लिए ही हमको बोलते है ,चाहे उनकी दूरदर्शिता थोड़ी कम ही क्यों न हो ?इसलिए अपना पक्ष अपने करीबियों के सामने हमेशा रखे और कभी भी उन्हें नजरअंदाज न करे ,क्यूंकि वह आपकी सोच को नहीं ,बल्कि आपके कार्यो के अनुसार आपको को देखते है ।


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