सोच समझकर फैंसला और वादा करे

Soch Samajhkar Fainsla aur Vaada Kare


जब हम गुस्से में होते हैं तब हमें कोई फैसला नहीं लेना चाहिए ,

और जब हम बहुत ही खुश होते हैं तब हमें किसी से कोई वायदा नहीं करना चाहिए ।

क्योंकि दोस्तों जब हम खुश होते हैं तो उस खुशी के कारण हम प्यार-प्यार में ही उसे(दूसरे व्यक्ति को) वह भी करने को कह देते हैं जो हमसे संभव भी ना हो या फिर कुछ ऐसा जो हमारे लिए बहुत ही मुश्किल हो जाए ,जिससे हमारा सब कुछ न्यौछावर भी हो सकता हो।

और जब हम गुस्से में होते हैं तब हम पर हमारा क्रोध इतना अधिक हावी हुआ होता है कि हम कुछ भी करने को आतुर हो जाते हैं, यहां तक कि हम किसी की जान जान तक लेने को भी तैयार हो जाते हैं। इसलिए दोस्तों, गुस्से में कभी भी कोई फैसला नहीं लेना चाहिए क्योंकि गुस्से में लिया हुआ फैसला बाद में पछतावा ही लाता है ।वो कहते है न कि अब पछताए तो होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत । तो इसीलिए दोस्तों कभी भी गुस्से में कोई फैसला ना लें और खुशी में किसी से कोई वादा ना करें ।