शांत रहकर बदला कैसे ले (How To Take Revenge Silently)

शीतल स्वभाव के द्वारा ही गुस्से को ख़तम किया जा सकता है ,
क्योंकि ठंडा लोहा ही गर्म लोहे को काट सकता है। 

कई लोग होते है जो कहते है हमे अधिकतर गुस्सा नहीं आता ,कभी ही कोई ऐसी परिस्थिति आयी होगी जब हमने गुस्सा किया होगा। 




अच्छी बात है ,गुस्सा करना भी नहीं चाहिए ,लेकिन अगर गुस्सा करना ही नहीं ,तो क्या यह सही है कि  जो कहते है कभी  ही कोई ऐसी परिस्थिति होगी जब गुस्सा आ जाए ? गुस्सा किया……. ,अपने आप को ही गर्म किया ,इससे क्या  लाभ  हो गया ? क्या गुस्सा करने से हमारी शक्ति बढ़ गयी ? नहीं……. ,बल्कि गुस्सा करने से हम और भी अधिक कमजोर हो जाते है।

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लोहा चाहे कितना भी मजबूत क्यों न हो ,लेकिन जब वह गर्म हो जाता है तब वह अपनी कठोरता खो देता है और उसी गर्म लोहे को ठंडा लोहा काट देता है। ठीक इसी तरह ,जब हम कभी भी गुस्सा कर ले ,तब हम अपने भीतर की कठोरता जोकि सोच-समझ (क्योंकि मनुष्य की असल ताकत उसका शरीर नहीं बल्कि उसका ज्ञान है) है उसे गँवा देते है। और हम कुछ भी सोचने के काबिल ही नहीं रह पाते और पता नहीं गुस्से में क्या-क्या बोल देते है और क्या-क्या कर देते है। लेकिन अगर उस परिस्थिति में भी हम ठन्डे बने रहे ,गुस्सा न करे तो दूसरे को अपने आप अपनी गलती का एहसास हो जाएगा। लेकिन अगर गलती का एहसास न भी हो तो हमे तो धीरज बनाये रखना है ,हम क्यों कुछ भी गलत बोले या करे ? सिर्फ इसलिए कि उसने दो-चार अपशब्द बोल दिए ? असल में अपशब्द तो उसके ही है ,क्योंकि कहते है न कि जिसके पास जो है ,वही वह दूसरे को दे सकता है। जो दूसरे के पास था वह तो उसने हमे दे दिया ,लेकिन क्या हमने उसे लिया या नहीं लिया ,यह हम पर निर्भर करता है क्योंकि अगर हमने भी बदले में अपशब्द बोल दिए ,इसका मतलब हमने उसके शब्द ले लिए थे ,अगर हम उसे कुछ कहे ही न ,तो उसका सामान तो उसके पास ही रह गया।

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ऐसे में बदला लेने का सबसे बढ़िया तरीका आपको बताता हूँ।

जब गुस्सा करने के बाद दूसरा व्यक्ति शांत हो जाए या फिर कुछ दिनों बाद ,उसे एक बात कहिये –

उससे कहिये , “भाई ,अगर तुम मुझे कोई चीज गिफ्ट करो और उसे मैं न लूँ और वह छोड़कर (बिना touch किये) चले जाऊं तो क्या तुम उसे वापिस लेकर जाओगे या फिर वही पड़ी रहने दोगे। “



आपका दोस्त पहले तो बात मज़ाक में ही लेकर जाएगा कि मैं क्यों गिफ्ट दूंगा या फिर तुम क्यों नहीं लोगे लेकिन सही line पर उसे कैसे लाना है यह तो आप बेहतर जानते होंगे क्योंकि वह आपका दोस्त है।

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बाद में उसका जवाब यही होगा कि “अगर तुम नहीं लोगे ,तो फिर तो मुझे वापिस ही लेकर जाना पढ़ेगा। “





बस सिर्फ इतना आपने सुनना है और बाद में कह दीजिये उस दिन तुमने मुझे जो गाली वगैरह निकाली थी न ,वह मैंने ली ही नहीं थी ,वह तो तुम अपने साथ ही वापिस ले गए।  अफ़सोस ……… तुमने अपने आप को ही इतनी सारी गालियां निकाली। 😛

क्यों …….? आया मज़ा या नहीं ?ऐसा करने से आपका बदला भी पूरा और plus हंस-हंस कर आपका खून भी बढ़ ही जाएगा। और ऐसे ही आपने ठंडा लोहा बनकर गर्म लोहे को काट दिया।

तो अगर कभी अगली बार ऐसा कुछ हो तो ध्यान जरूर रखे गुस्सा नहीं करना ,बल्कि शीतल स्वभाव रखना है और दिमाग से काम लेना है।

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(लेकिन ऐसा सिर्फ अपने known वालो पर ही try करे :),नहीं तो लड़ाई फिर से बढ़ सकती है। )

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इस Post का यह बिलकुल मतलब नहीं कि अगर कोई किसी को मारने भी आ जाए तब भी गुस्सा न करे। जीवन रक्षा जरूर करनी चाहिए लेकिन ,वैसे तो कभी ऐसी परिस्थिति किसी पर भी न आये लेकिन अगर कभी कुछ ऐसा हो जाए तो दिमाग को थोड़ा ठंडा रखकर सूझ-बूझ के साथ तथा अपने शारीरिक बल का सही प्रयोग करके उस विपत्ति से छुटकारा पाना चाहिए।

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