कोई भी कार्य करने से पहले सोच लें (Think Before Doing Anything)

एक युवक ने विवाह के दो साल बाद विदेश जाकर व्यापार करने की इच्छा अपने पिता से कही।

पिता जी ने पहले तो उसे समझाया की यही पर कोई व्यापार कर ,हमसे और अपनी पत्नी से दूर क्यों जाना चाहते हो ?  मेहनत करोगे तो यहाँ पर भी सफलता मिलेगी तुम्हे। पर युवक का मन बाहर जाकर पैसा कमाने का ही था। वो अपने पिता जी से कहता ही कि बाहर कमाई के अच्छे साधन है ,मैं जल्द ही वहाँ से खूब पैसा कमा लूंगा और फिर वापस आकर यही रहने लगूंगा।  पिता समझ गए कि उनके बेटे की इच्छा बाहर जाकर कमाने की ही है और वो विदेश जाए बिना मानेगा नहीं ,तो वो उसे विदेश जाने की इजाजत दे देते है।

इजाजत मिलने के बाद वह अपने माता-पिता और अपनी गर्भवती पत्नी को जल्द ही वापस लौटने का कहकर उनसे विदा लेता है।

विदेश जाकर युवक बहुत मेहनत करता है और खूब धन कमाकर सेठ बन गया। जब उसे धन कमाकर संतुष्टि हो जाती है तो वो वापिस घर लौटने की सोचता है।

वह वहां से सबके लिए उपहार लेकर वापस  जाने को होता है और जहाज में बैठकर अपने देश को रवाना हो जाता है। जहाज में उसे एक व्यक्ति दिखता है जो बहुत उदास लग रहा था। युवक जोकि अब सेठ बन चूका था उससे  व्यक्ति को उदास देखकर रहा नहीं गया और उससे उसकी उदासी का कारण पूछता है।

वह व्यक्ति कहता है कि इस देश में ज्ञान की कोई कद्र ही नहीं है। मैं यहाँ ज्ञान के सूत्र बेचने आया था लेकिन यहाँ पर कोई भी लेने को तैयार ही नहीं है।

सेठ को उसपर दया आ जाती है और वो उस व्यक्ति से कहता है कि मैं आपसे ज्ञान के सूत्र खरीदूंगा।

वह व्यक्ति कहता है कि मेरे ज्ञान के प्रतेक सूत्र की कीमत पांच हज़ार रूपये है।

सेठ को यह कीमत बहुत अधिक लगी सिर्फ ज्ञान के सूत्रों के लिए ,लेकिन फिर उसने सोचा की इसी देश से मैंने इतना धन कमाया है ,इस देश का मान रखने के लिए अगर एक सूत्र खरीद भी लेता हूँ तो भी मुझे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। युवक उस व्यक्ति को पाँच हजजर रूपये पकड़ा देता है और अपने bag में से लिखने के लिए एक dairy निकाल लेता है।

वह व्यक्ति ज्ञान सूत्र देते हुए कहता है कि “कभी भी कोई भी कार्य करने से पहले हमे रूककर थोड़ा सोच लेना चाहिए कि क्या जो मैं करने जा रहा हूँ वह सही है या नहीं ? और फिर सोच-विचार करने के बाद ही उस काम को करना चाहिए।”

सेठ ने यह बात अपनी dairy में लिख ली और अपने दिमाग में भी यह बात पक्की तरह से बिठा ली।

सेठ यात्रा के बाद रात्रि के समय घर पंहुचा। सेठ ने सोचा कि इतने सालो बाद मैं घर आया हूँ क्यों न चुपके से अंदर जाकर अपनी पत्नी को surprise दूँ।

घर के नौकरों को चुप रहने का इशारा करके सेठ चुपके से अपनी पत्नी के कमरे में चला गया । लेकिन जब वह अपनी पत्नी को देखता हैं तो एकदम से आगबबूला हो जाता है।  पलंग पर उसकी पत्नी के साथ एक युवक सोया हुआ था।

वह बिना कुछ सोचे-समझे अत्यन्त क्रोध में भरकर उन दोनों को मारने की सोचता है। पर फिर सहसा ही उसे ज्ञान-सूत्र याद आ जाता है और फिर शांत होकर सोचने लगता है कि नहीं ऐसा नहीं हो सकता, जो मैंने एकदम से सोचा ,शायद मेरी ही नजरों का धोखा होगा।

इतने में ही उसकी पत्नी की आँख भी खुल गई और जब  वो अपने पति को देखती है तो बहुत ही ज्यादा खुश होती है और कहती है ,”आप आ गए ! आपके बिना तो मेरा जीवन ही व्यर्थ हो गया था। आपके इन्तजार में इतने वर्ष कैसे निकाले यह मैं ही जानती हूँ ,अब मैं कभी नहीं आपको दूर जाने दूंगी।”

इतना कहकर पत्नी पलंग पर सो रहे युवक को कहती है ,बेटा  ,उठो और देखो कौन आया है ? तेरे पिता जी है ,प्रणाम करो इनको।

युवक पलंग उठकर जैसे ही  पिता जी को प्रणाम करने के लिए उठा और उनके पैर छुए तो उसके सिर पर पड़ी पगड़ी उतर गई और उसके सारे बाल बिखर गए।

सेठ एकदम से हैरान हो गया ।

इससे पहले की सेठ कुछ बोलता, पत्नी कहती है ,”स्वामी , यह आपकी बेटी है। पिता के बिना कभी भी इसके मान-सम्मान को कोई आंच न आये इसलिए मैंने इसे बचपन से ही बेटे की तरह पाला।

यह सब सुनकर सेठ की आँखों से आंसू निकलने लग गए और जो उसने पहले सोचा था ,उसे अपनी सोच पर बहुत घृणा आयी। वह अपनी पत्नी और बेटी को गले लगाकर सोचने लगा कि यदि मैंने तब ज्ञान-सूत्र नहीं लिया होता तो जरूर आज मैं बहुत बड़ा  अपराध कर जाता , मेरे ही हाथों मेरा परिवार खत्म हो जाता और जिंदगी भर उसके लिए पछताता रहता।

वह सोचने लगा कि “ज्ञान का यह सूत्र तो उस दिन मुझे बहुत महंगा लगा था और व्यर्थ का भी लग रहा था ,लेकिन इसी ज्ञान सूत्र के कारण मेरा सारा परिवार बच गया।इसकी कीमत तो मैंने बहुत ही थोड़ी चुकाई , ज्ञान सूत्र तो अनमोल है।

Moral : हमे भी कभी एकदम से क्रोध में भरकर कोई ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए , जिसके लिए हमे ज़िंदगी भर पछताना पड़े। कोई भी कार्य हमेशा सोच-समझकर शांत दिमाग से करना चाहिए।