अपमान और सलाह में छोटा-सा ही अंतर है, लेकिन यही अंतर रिश्ते बिगाड़ भी सकता है और सुधार भी सकता है ।
अगर किसी व्यक्ति को उसकी गलती के बारे में सभी के सामने बताया जाए तो वह अपमान कहलाता है।
लेकिन अगर वही व्यक्ति की गलती को सिर्फ उसी के सामने यानी कि एकांत में कहा जाए ,तो वह सलाह कहलाती है।
और जब सभी के सामने किसी की गलती की आलोचना की जाती है, तो उससे रिश्ते बिगड़ भी जाते है।
लेकिन जब उसी व्यक्ति की उसी गलती की आलोचना उसी के सामने की जाती है तो वह रिश्तों में मजबूती भी ला देती है ।
इसलिए अगर कभी भी किसी को कुछ समझाना हो तो उसे एकांत में समझाये ,क्यूंकि उस समय वह मशवरा होता है ,लेकिन जब सभी के सामने कुछ कहा जाए तो यही मशवरा दूसरे व्यक्ति के लिए निंदा बन जाता है ।
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