जो व्यक्ति धर्म का आश्रय लेकर ,सदमार्ग पर चलता है,
सभी जीवों को परमपिता परमात्मा की संतान मानकर ,
सभी पर दया भाव रखता है,
और अपनी चेतनावस्था में किसी भी प्रकार की हिंसा से दूर रहता है,
ऐसा व्यक्ति जिंदगी की मुश्किलों से कभी भी विचलित नही हो होता
क्योंकि ऐसे व्यक्ति का साथ स्वयं परब्रह्म परमात्मा देते है।
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