बुरे वक्त में ही अपने और पराये की पहचान होती है

जिंदगी में बुरा वक्त भी आना जरूरी है, तभी हमे अपने और पराये का पता चलता है। बुरे वक्त के समय मे जो अपना बनने का ढोंग करते है ,वह दूर चले जाते है और जो दूर होते है, लेकिन हमारे लिए दिल मे जगह रखते है, वह पास भी आ जाते है।
इसलिए जिंदगी में अपने और गैर में अंतर देखना हो तो बुरा वक्त सबसे बढ़िया है। बुरा वक्त सही और गलत इंसान को ही पहचान ही करा देता, तो यह बुरा भी कैसे हुया? असल मे तो वक्त सबसे बड़ा शिक्षक ही हुया। कभी हमे हंसाकर सिखाता है, तो कभी रुलाकर। जब हम हंसकर नही सीख पाते तो यह हमें school teacher की ही तरह मारकर (बुरा वक्त बनकर) भी सिखाता है।

 


इसलिए हमेशा सीखते रहिये और अपने शिक्षक को कोसिये मत,बल्कि शुक्र गुजार होईये क्योंकि इसकी वजह से ही हमे सच्चाई का पता चलता है कि कौन है हमारा और कौन है पराया?

Bure Vakt Ki Bhi Ek baat Badhiya hai,

Jab Bhi Ata hai, tab apno me chipe huye gairo

aur gairo me chipe huye apno

ke bare me bta deta hai.