चाणक्य नीति (Chanakya Neeti) 2

पहले भी आचार्य चाणक्य जी के कुछ विचार Post किये जा चुके है, उन्हें पढ़ने के लिए click करें। 

आचार्य चाणक्य जी के कुछ अन्य विचार जो हमारे जीवन में आज भी बहुत अहम भूमिका निभाते है।

कोयल का सौंदर्य है उसकी बोली ,स्त्रीका सौंदर्य है उसका पतिव्रत होना। कुरूप का सौंदर्य है उसकी बुद्धि और तपस्वियों का सौंदर्य है उनका क्षमाशील होना। 

मूर्ख को दो पैर वाला पशु समझ कर त्याग देना चाहिए। क्यूंकि यह समय-समय पर अपने वाक्यरुपी शूल से उसी तरह बेधता है जैसे न दिखाई पड़ता हुआ काँटा चुभ जाता है।

सामर्थ्यवाले पुरुष को कोई वस्तु भारी नहीं हो सकती। व्यवसायी मनुष्य के लिए कोई प्रदेश दूर नहीं कहा जा सकता और मृदुभाषी मनुष्य किसी का पराया नहीं कहा जा सकता।

जिस देश में मूर्खो की पूजा नहीं होती ,जहाँ भरपूर अन्न का संचय रहता है और जहाँ स्त्री पुरुष में कलह नहीं होता ,वहाँ यही समझ लो की लक्ष्मी स्वयं आकर विराज रही है।

जब तक शरीर स्वस्थ है और मृत्यु से दूर है ,इसी समय के रहते-रहते आत्मा का कल्याण कर लो। क्यूंकि अंत समय जब आएगा तब कुछ नहीं कर पाओगे।

एक गुणवान पुत्र सैंकड़ो गुणहीन पुत्रों से अच्छा है। अकेला चन्द्रमाँ अन्धकार को दूर कर सकता है जोकि हज़ारों तारे भी मिलकर नहीं कर सकते।

दान दरिद्रता को नष्ट करता है ,शील दुरवस्था को नष्ट कर देता है ,बुद्धि अज्ञान को नष्ट कर देती है और विचार भय को नष्ट कर देते है।

जीव स्वयं कर्म करता है और स्वयं उसके शुभाशुभ फलो को भोगता है। वह स्वयं संसार में चक्कर खाता है और समय पाकर स्वयं छुटकारा भी पा जाता है।

लालची को धन से ,घमंडी को हाथ जोड़कर ,मुर्ख को उसकी मनवाली करके और पंडित को उसकी यथार्थ बात से वश में करें।

अपने धन का नाश ,मन का दुःख ,स्त्री का चरित्र ,नीच मनुष्य की कही हुई बात
और अपना अपमान ,यह बातें बुद्धिमान मनुष्य किसी के समक्ष प्रकट न करे ।

दोस्तों achhe
विचार तो बांटने के लिए ही होते है और चाणक्य जी के विचार तो हमेशा ही सभी
लोगो को प्रेरणा ही देते रहे है ,मैं जानता हूँ आप मेरे blog से इन विचारों
को copy नहीं कर सकते लेकिन निराश मत  होइए आप इन्हे आसानी से download कर
सकते है और उसके बाद Whatsapp ,Facebook ,Hike ,Google Plus आदि कही पर भी share कर सकते है। 

वैसे share कर सकते है यह कहना इतना सही नहीं बल्कि मैं तो कहूंगा कि आप अवश्य share करें क्यूंकि ज्ञान बांटने से ही बढ़ता है।

Nikhil Jain

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