पुस्तके भी सोच-समझकर पढ़नी चाहिए (Every Book Is Not Enlightening)

दोस्तों आपने सुना होगा कि Books मनुष्य की सच्ची दोस्त होती है। किताबों का ज्ञान हमेशा मुसीबत के समय में हमारी मदद करता है। यह उस समय भी हमारी सहायता करती है जिस समय अन्य सब  हमारा साथ छोड़ जाते है। लेकिन क्या यह सही में सच है कि किताबे हमारी हर समय सहायता करती है ?

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तो इसका जवाब है ,नहीं।  यह पूर्ण रूप से सत्य नहीं है कि किताबें हमारी हर समय सहायता ही करती है । क्योंकि कुछ किताबें ऐसी भी होती है ,अगर हम उन किताबों पर विश्वास कर ले तो हम मुसीबत में भी फंस सकते है या फिर दूसरों को मुसीबत में डाल सकते है। इसलिए हमें किताबें भी सोच-विचारकर ही पढ़नी चाहिए।

अब कुछ लोग सोचेंगे कि किताबें कैसे किसी को मुसीबत में डाल सकती है और इनमे ऐसा क्या है कि हमें books का चयन भी सोच-विचारकर करना चाहिए ?

तो दोस्तों इसका जवाब आपको अब मिल जायेगा। कई लोग आपने देखे होंगे कि जिन्हें किताबें पढ़ने का बहुत शोंक होता है और उन्हें जो भी किताब मिले, उठाकर पढ़ने लग जाते है। तो ऐसे में कई बार chances हो सकते है कि उस किताब में सही जानकारी न हो। या वह wrong information फ़ैलाने के इरादे से ही लिखी गयी हो।

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अब आप सोचेंगे कि ऐसी कौन-सी किताब होगी ,जो गलत जानकारी फ़ैलाने के उद्देश्य से लिखी गयी होगी। दोस्तों , प्रत्येक writer जो  भी किताब लिखता है ,वह अपनी समझ और अपनी सोच को उस किताब के माध्यम से व्यक्त करता है। तो ऐसा भी हो सकता है कि जिस writer ने जो किताब लिखी ,असल में वो हकीकत से कही अधिक दूर हो लेकिन पाठक (readers) उसको सच मान ले। इससे होगा यह कि जिसने किताब पढ़ी उसे गलत जानकार प्राप्त हुयी और वह वही जानकारी अपने मित्रों (friends) के साथ भी बांटेगा।

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अब आपमें से कईयों ने सोचा होगा कि ऐसे तो कुछ भी नहीं होता। तो दोस्तों , आपको एक ऐसी ही जानकारी देता हूँ ,जिससे आप समझ जाएंगे-

दोस्तों हमें बचपन से ही पढ़ाया जाता है कि हवाई जहाज को Wright Brothers ने invent किया था ,लेकिन अब सच्चाई सामने आ रही है कि हवाई जहाज उससे कई सालों पहले एक भारतीय व्यक्ति शिवकर तलपड़े द्वारा बनाया जा चूका था। आप भी यह बात जानते और मानते भी होंगे।

तो दोस्तों इसमें दोष किसका ? इसका यही अर्थ हुआ कि जिन्होंने किताबे लिखी उनके पास सही-सही जानकारी नहीं थी।

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एक और बात आपमें से कईयों देखा या सुना होगा कि कई बार लोग हमारे ग्रंन्थों में जो लिखा होता है उन्हें ही तोड़-मरोड़कर हमारे सामने पेश कर देते है और जिन्हें सच की जानकारी नहीं होती तो वह लोग गलत बातों को भी सच मान लेते है। ऐसे लेखक सिर्फ गलत जानकारी फैलाने के इरादे से ही पुस्तके लिखते है।

दोस्तों अब आप समझ गए होंगे कि जरूरी नहीं कि किताबें पढ़ने से ज्ञान मिले ही।

सही किताब की पहचान कैसे करे ?

लेकिन अब सवाल यह आता है कि हमें कैसे पता चलेगा की किस किताब की जानकारी सही है या किस की गलत क्योंकि अगर हम किसी चीज के बारे में जानते नहीं ,तभी तो वह किताब पढ़ रहे है और उसमे जैसा लिखा होगा हम मान लेंगे। तो ऐसे में हम क्या करे ?

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दोस्तों ,इसका उत्तर बहुत ही सरल है ,अपनी सूझ-बूझ का भी इस्तेमाल करे। जरूरी नहीं कि जो किताब में लिख दिया वह सही ही हो। जिसने किताब लिखी वह भी इंसान है और इंसान गलत भी हो सकता है। ऐसी कुछ किताबें लेखको की अधूरी जानकारी के कारण लिखी जाती है और कुछ जान-बूझकर ,सच को सभी के सामने आने से रोकने के लिए या फिर द्वेष भाव फैलाने के लिए।

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अगर किसी book की जानकारी काफी deep हो ,जिसके बारे में हम बिलकुल ही अनजान है तो दूसरे लोगो से भी थोड़ा विचार-विमर्श करे और अन्य लेखकों की किताबें भी पढ़े। इस प्रकार हम सही-सही जानकारी प्राप्त कर सकते है।

अब आप सब समझ गए होंगे कि किताबे क्यों सोच-समझकर पढ़नी चाहिए।

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दोस्तों आपको यह Post कैसी लगी comment करके हमें जरूर बताये। अगर आपने भी कभी wrong information वाली book या फिर अन्य कोई जानकारी पढ़ी हुयी है तो हमे भी सचेत करे।