जीत और हार सिर्फ हमारी सोच पर निर्भर करती है
अगर हम बेबस होकर, हाथ पर हाथ धरकर बैठ जाए ,
तो इसका मतलब हमने हार मान ली, हम कभी सफल नहीं हो सकते ,
लेकिन अगर हम और भी बेहतर तरीके से प्रयत्न करते रहे ,तो हमारी जीत पक्की है ।
यह सिर्फ हमारी सोच है,जोकि हमे हार का एहसास करती है ,नहीं तो हार का मतलब तो …”सफलता प्राप्त करने के लिए कोशिश करते रहना है” क्यूंकि अगर हार का मतलब अंत से हो तो फिर तो कुछ व्यक्ति ही जीवित रहे । लेकिन ऐसा नहीं है क्यूंकि हार तो वह है ,जो हमे आगे बढ़ते रहने के लिए प्रेरित करती रहती है ।
(इस हार और जीत का मतलब व्यक्ति की अपनी सफलता/असफलता के साथ है ।)
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