जरूरी नहीं कानों से सुनी हुयी बात सच ही हो

Inspirational Hindi Joke

दोस्तों आप पहले भी GyanPunji पर Inspirational Jokes पढ़ चुके है और इसी को आगे ले जाते हुए आपके सामने एक और ऐसा ही चुटकला पेश है ,जो आपको हंसाएगा तो है ही,साथ ही साथ शिक्षा भी देगा।

चलिए पहले चुटकला पढ़ते है-

पप्पू दुकान पर हरी मिर्च खरीदने गया और दुकानदार से बोला – भैया, लाल मिर्च देना…

दुकानदार- हरी मिर्च लाना…..😀😀😀

पप्पू, भैया लाल मिर्च जल्दी मंगवा दो

दुकानदार – हरी मिर्च जल्दी ले आ😁😁😁

पप्पू गुस्से से बोला, भाई साहब मैं कब से लाल मिर्च मांग रहा हूँ और आप हरी मिर्च मंगवाये जा रहे है, क्या आपको सुनता नही? क्या बात हो गयी?😡😠😡😠

दुकानदार- नही, नही…. भाई साहब,,, हरी तो मेरे यहाँ काम करने वाले लड़के का नाम है….. वो आपको लाल मिर्च ही लाकर देगा। यह लो मिर्च भी ले आया।

😃😄😃😄😃😄😃😄

hahahahaha……. मज़ेदार लगा न चुटकला? शायद आपने पहले पढ़ा-सुना भी हो। लेकिन यह सिर्फ एक चुटकला ही नही बल्कि इसमें भी हमारी जिंदगी की हक़ीक़त छिपी हुई है

दोस्तों, कई बार हमें लगता है कि ,जो हमने सुन लिया वह बिल्कुल सच ही है और कानों से सुनी हुई बात कभी झूठ नही हो सकती। और हम बिना सोच-विचार किये एकदम से नतीजे पर पहुंच जाते है और वही मान लेते है जो हमने कानों से सुना हो।

इस हिंदी चुटकले में भी कुछ ऐसा ही है। ग्राहक लाल मिर्च लेने आया ,लेकिन shopkeeper बोला हरी मिर्च लाना। और ऐसे ही ग्राहक को गुस्सा आ गया कि वह तो लाल मिर्च मांग रहा है ,लेकिन दुकानदार हरी मिर्च- हरी मिर्च बोले जा रहा था। लेकिन वह तो हरी को कह रहा है कि हरी.. मिर्च लाना, जोकि उसके यहाँ काम करने वाले लड़के का नाम है।

दोस्तों हम भी life में ऐसे ही थोड़ी-सी बात सुनकर ही उसे सच मान लेते है बिना पूरी हकीकत जाने। इसलिए ही हमारे बुजुर्ग कह गए है कि जरूरी नही कि कानो से सुनी हुई बात और आंखों से देखी गयी चीज सच ही हो। आंखें भी धोखा दे जाती है, इसपर Hindi Inspirational Joke पढ़े।

कुछ ऐसा ही हमारे साथ life में हो जाता है और हम एकदम से अपने दोस्तों पर या किसी व्यक्ति पर गुस्सा हो जाते है और कई बार तो हमेशा-हमेशा के लिए ही बुलाना छोड़ देते है। अब आप ही सोचिए कि अगर ग्राहक ऐसे ही चिढ़कर एकदम से चले जाता तो क्या उसे कुछ पता चलना था? क्या दुकानदार ने समझ पाना था कि वह एकदम से भागा क्यों ? अगर ग्राहक गुस्सा अंदर ही रख लेता और मिर्च लेकर चल जाता तो  उसने तो यह ही समझना था कि शायद दुकानदार पागल होगा लाल मिर्च को हरी कहता है।

अगर ग्राहक गुस्से से न बोलता लेकिन अंदर-ही-अंदर गुस्सा रखता तो शायद आगे से वह दुकान पर भी न आता और दुकानदार और ग्राहक दोनों ही असलियत न समझ पाते। दोस्तों, वैसे तो यह चुटकले के साथ आपको reality में जो होता है वह समझा रहा हूँ, लेकिन अगर आपके साथ भी कभी ऐसा हुआ है ,तो इसे जरा अपनी life की किसी घटना के साथ जोड़कर देखिए। शायद कभी-कभी हम भी एकदम से गुस्सा कर जाते है ,लेकिन बाद में जब असलियत का पता लगता है फिर अंदर से हमे बहुत बुरा लगता है और कई बार ऐसा भी हो सकता है कि हमने अपने किसी साथी को बुलाना छोड़ दिया हो, लेकिन वह यह न समझ पाया हो कि असल मे उसे बुलाना छोड़ा क्यों? क्योंकि कोई बात हो ही न, और हमने आधी अधूरी बात सुनकर उसे पूरा सच मान लिया हो।

तो दोस्तों यह सच नही कि जो हमने सुना ,वह सच ही हो। कई बार कानों से सुनी हुई बाते भी सच नही होती बल्कि वह आधा सच होती है,जो सच तो है,लेकिन वह सच नही जिसे हम जानना चाहते है। जैसे कि महाभारत के युद्ध मे भी जब कहते है अश्वथामा मर गया, लेकिन वह अश्वथामा नही मरा होता, जो गुरु द्रोणाचार्य का पुत्र था, बल्कि हाथी नामक अश्वथामा मरा था। द्रोणाचार्य ने भी एकदम से उसी को सच मान लिया ,लेकिन  उनका पुत्र तो जीवित था।  इसलिए दोस्तों कभी भी एकदम से निर्णय नही लेना चाहिए। पहले बात को सुनना चाहिए, फिर समझना चाहिए, फिर हर एक पहलू के बारे में सोच-विचार करना चाहिए, अगर इसमें असफल हो जाये तो फिर सामने वाले से ही पूरी बात के बारे में जानना चाहिए और फिर ही किसी निर्णय पर पहुंचना चाहिए। अगर यह सब भी न कर सके फिर कम-से-कम एक बार वही पर गुस्सा ही कर लीजिये क्यूंकि शायद आपका गुस्सा ,आपकी गलतफहमी दूर कर दे। वैसे गुस्सा करना तो नहीं चाहिए ,लेकिन ऐसी situation में गुस्सा शायद आपके रिश्ते को बचा ले। जानिये गुस्सा करना भी कैसे लाभदायक हो सकता है। 

Friends , अब आप समझ गए होंगे कि कैसे हमे हमारे कान भी धोखा दे सकते है और कैसे एक चुटकला भी हमे शिक्षा दे सकता है। हम अगर सीखने की इच्छा रखे तो हम किसी भी चीज से सीख सकते है ,example तो आपके सामने ही है।

दोस्तों , आपको कान से सुनी हुई बात भी झूठ हो सकती है यह post कैसी लगे हमे जरूर बताएं, आगे भी ऐसी ही inspirational stories hindi में पढ़ते रहने के लिए GyanPunji ब्लॉग को पढ़ते रहना न भूले क्योंकि सच्चा ज्ञान ही मनुष्य की असल पूंजी है ।

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