सोचा था किताबें पढ़-पढ़ कर सब सीख जाऊंगा

Kitaabein Padhkar Sab Seekh Jaunga

सोचा था किताबें पढ़-पढ़ कर सब सीख जाऊंगा,
इसी सोच में हजारों किताबें पढ़ डाली,

लेकिन जब आया इस दुनियादारी में,
तो किताबों का एक पन्ना भी न आया काम,

जो जो पढ़ा था पन्नो से,
वह न आया किसी भी काम,

सिखाया जो सबक जिंदगी ने
उसकी तो थी कुछ अलग ही लिखावट।

दोस्तों, जिंदगी में चाहे जितना मर्जी पढ़-लिख ले,चाहे हज़ारो किताबों का ही ज्ञान क्यों न अर्जित कर ले,लेकिन एक बात हमेशा याद रखना जिंदगी जो सबक सिखाती है, वह न तो किसी किताब में लिखा गया है और न ही लिखा जा सकता है । और जब तक जिंदगी से सबक न सीख जाओ तब तक जिंदगी जीना नही सीख सकते