बुरे वक्त में भी किसी के सामने झुकना नहीं चाहिए (Never Beg)

हम सभी का ही जीवन कठिनाईयों से भरा पड़ा है। किसी के जीवन में अधिक मुश्किलें होती है तो किसी के जीवन में कुछ कम। लेकिन ऐसा कोई नहीं जिसे मुश्किलों का सामना न करना पड़ा हो।

लेकिन यह जरूरी ही है कि अगर किसी के पास अच्छे समय के बाद , कभी बुरा वक्त आ भी जाए तो वह बुरा वक्त जल्द ही तल जाएगा। हम सभी जानते है कि मुश्किलें और शोहरत दोनों में से कुछ नहीं टिकने वाला। अगर आज किसी के पास धन-दौलत है तो ऐसा भी हो सकता है कि कल उसके पास न हो और उसके बाद फिर से वह मेहनत करके अपना अच्छा वक्त वापस ला सकता है।

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लेकिन इस समय में एक बात ध्यान रखने वाली है ,भले ही बुरा वक्त अगर कभी आ भी जाए तो भी हमे जीवन में हार नहीं माननी चाहिए और न ही किसी के सामने झुकना चाहिए या किसी अन्य से मदद मांगनी चाहिए क्योंकि बुरा वक्त तो कुछ समय के लिए आता है लेकिन अगर हम किसी के सामने झुककर उससे भीख मांगने लग जाए तो वह जीवन भर का बोझ ही बनकर रह जाता है।  चाहे व्यक्ति बाद में फिर से ऊँचे मुकाम पर भी आ जाए ,लेकिन एक बार की भीख पूरी जिंदगी की भीख बन जाती है ,खास तौर पर तब ,जब होंसलो में दम हो और मेहनत करने की पूरी लगन क्योंकि जिसमे कुछ कर जाने का जज्बा होता है वह अवश्य ही फिर से अपना अच्छा समय वापस ला सकता है ,लेकिन अगर वह किसी के सामने झुककर उससे भीख मांगे कि मेरी मदद कर दो तो वह पुरे जीवन के लिए श्राप बनकर रह जाएगा। क्योंकि जिससे हमे माँगना पड़े ,वह तो हमारा अपना हो ही नहीं सकता और फिर बाद में सभी को कहता फिरेगा कि “उस समय में मैंने इस व्यक्ति की मदद की थी , आज यह जो भी है सिर्फ मेरी वजह से।” और अगर हम अपनों की बात करे तो हमे कभी भी अपनों से माँगना नहीं पड़ता। अगर कोई सच में किसी का सच्चा दोस्त या मददगार है तो वह अपने आप मुश्किल में पड़े अपने साथी की सहायता करेगा। इसीलिए जिसके होंसले बुलंद हो उसे मुश्किल समय में भी किसी के सामने झुककर भीख नहीं मांगनी चाहिए। तभी तो कबीर जी भी कह गए कि

माँगन मरण समान ,मति मांगो कोई भीख। 
माँगन ते मरना भला ,यह सतगुरु की सीख।।

अर्थ : माँगना मरने के समान है ,कभी भी किसी से भीख नहीं मांगनी चाहिए। मागने से भला तो मर जाना चाहिए ,यही सच्चे गुरु कहते है।

भाव : कबीर जी कहते है कि किसी से कभी भी भीख नहीं मांगनी चाहिए। भीख मांगने से अच्छा तो मर जाना ही है। ऐसा कबीर जी ने इसलिए कहा ताकि मनुष्य सिर्फ पुरुषार्थ करे ,कर्म करे ,मेहनत करे ,लेकिन कभी भी किसी से कुछ मांगे न। क्योंकि अगर एक बार किसी से कुछ मांग लिया तो वह व्यक्ति देने वाले का दास बनकर रह जाता है। और बाद में अगर कभी वह ऊँचे  मुकाम पर पहुँच भी जाए तब भी वह उसके सामने झुका ही रहता है जिसने पहले भीख में कुछ दिया था। इसलिए कभी भी भीख नहीं मांगनी चाहिए बल्कि मेहनत करके ,अपना कमाकर खाना चाहिए।

दोस्तों ,इसमें भीख शब्द का अर्थ सिर्फ हर किसी से मांगने से ही नहीं है। बल्कि अगर हम पर कभी कोई विपत्ति आ भी जाए तो उस समय में किसी भी उस व्यक्ति के सामने न झुकने से है जो भी विपत्ति के समय में मदद करने को ऐसे बतलाये जैसे वह कोई बहुत बड़ा एहसान कर रहा हो। याद रखिये बुरा वक्त हर एक का कभी-न-कभी आता ही है और बाद में अच्छा समय फिर से आ जायेगा ,लेकिन अगर इस बुरे वक्त में किसी के सामने झुक गए और वो भी उसके सामने जो जिंदगी भर सुनाता रहे तो इससे बेहतर तो मर जाना ही है। लेकिन फिर भी मरना क्यों ? मेहनत करो और फिर से अपनी सफलता वापस ले आओ लेकिन कभी भी की के सामने झुको मत।

क्योंकि माँगना तो सिर्फ एक या दो बार का होगा 
लेकिन झुकना जीवन भर का बन जाएगा। 

इसलिए समय चाहे जैसा भी हो ,हम सभी को धीरज और अपने आप पर भरोसा रखना चाहिए। जो मेहनत करते है और जिन्हें अपने आप पर विश्वास है वह एक बात हमेशा याद रखे अगर अच्छे समय के बाद बुरा से आया है तो उस बुरे वक्त के बाद अच्छा वक्त भी जरूर आएगा।

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