प्रेम करना कायरो के बस की बात नही,
प्रेम भी सामर्थ्यवान इंसान ही कर सकता है।
क्योंकि अपने प्रेम को पाना कोई आसान काम नही होता। प्रेम को प्राप्त करने के लिए मार्ग में हज़ारों मुश्किले भी आती है और अगर कोई कायर व्यक्ति है तो वह कभी भी अपना प्रेम नही पा सकता।
यह प्रेम भले कोई भी हो, भक्ति का प्रेम हो या फिर प्रिय-प्रीतम का प्रेम, प्रेम के राह कठिन ही है।
अगर कोई हर समय भक्ति में ही रमा रहता है तो भी दुनिया वाले उसे बोलने लग जाते है कि कोई काम-वाम तो कर लिया कर। या फिर अन्य तरह से ताने मारते रहते है, इसलिए अगर किसी ने भक्ति प्रेम भी करना है तो उसमें हिम्मत और श्रद्धा दोनों होने चाहिए और उसका आत्मबल इतना मजबूत होना चाहिए कि वह अपने भक्ति मार्ग पर चलता रह सके।
अगर किसी को किसी युवती से सच्चा प्रेम भी है तो वह मार्ग भी आसान नही ,क्योंकि इस मार्ग पर भी हज़ारो कठिनाईया है। अपने घर वालो का डर, प्रेमिका के घर वालो का डर, समाज का डर, वैरियों का डर, लेकिन डर शब्द सिर्फ कायरो के लिए है। अगर कोई सच्चा प्रेमी है तो उसे डर शब्द को निकालना होगा क्योंकि प्रेम डरपोक नही बल्कि आत्मबल से मजबूत व्यक्ति ही कर सकता है।
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