गोवर्धन पूजा क्यों मनाई जाती है (Why Govardhan Pooja Is Celebrated In Hindi)

दीपावली के दिनों का चौथा दिन यानी कि दीपावली से अगला दिन अन्नकूट पूजा का होता है। अन्नकूट पूजा को ही गोवर्धन पूजा कहा जाता है।
इस दिन भगवान श्री कृष्ण जी ने इंद्र देवता का अहंकार तोड़ा था।
भागवान कृष्ण जी जब गोकुल में रहकर अपने भक्तों के कष्ट हरते थे ,तब गोवर्धन पूजा नहीं बल्कि इंद्र देव की पूजा की जाती थी क्योंकि इंद्र देवतायों के (स्वर्ग के भी) राजा है और वह इंद्र देव को अपना पालनहार मानते थे। लेकिन भगवान श्री कृष्ण जी ने कहा कि इंद्र नहीं हमारे पालनहार , हमारे पालनहार तो यह गोवर्धन पर्वत है ,यही से हमारी गायों को चारा मिलता है जिनसे हम दूध प्राप्त करते है, हमे गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए न की इंद्र देव की। गोवर्धन पर्वत तो हमारे सामने है हमें इतना कुछ देते है लेकिन इंद्र को तो हमने देखा भी नहीं और अगर हम उनकी पूजा न करे तो वह नाराज हो जाते है ,तो वह हमारा पालन कैसे कर सकते है?

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सारे लोगों ने इंद्र देव की पूजा करने की बजाए गोवर्धन पर्वत की पूजा करने का निश्चय किया ।लेकिन इससे इंद्र देव को बहुत क्रोध आया और वह मूसलाधार वर्षा करने करने लगे । मूसलाधार वर्षा से बचाने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठ ऊँगली से उठाकर सभी लोगों को उसके नीचे आने को कहा ,जिससे किसी का भी कुछ भी न हानि हो पाया ।

सात दिनों तक लगातार वर्षा होती रही ,बाद में इंद्र देव ब्रह्मा जी के पास गए और उन्होंने पूछा कि यह बालक कौन है ? तब ब्रहा जी ने बताया कि वह स्वयं भगवान विष्णु का रूप है।

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इंद्र देव को अपनी गलती का एहसास हुआ और वह भगवान कृष्ण जी से क्षमा मांगने आये और आगे से ऐसा कभी न करने को कहा। (इंद्र देव को अहंकार था कि सबसे बड़े राजा है इसलिए वह अपनी पूजा कराकर खुश होते थे और जो पूजा न करे उनपर कुपित होते ,इंद्र का यही अभिमान तोड़ने के लिए श्री कृष्ण जी ने गोवर्धन पूजा के लिए कहा। असल पालनहार तो प्रकृति है और स्वयं निराकार भगवान है , देव तो भगवान द्वारा बनाई सृष्टि के संचालन के लिए है।)
आज ही के दिन वर्षा समाप्त हुई थी और इंद्र का मान मर्दन हुआ क्योंकि श्री कृष्ण ने असल पालनहार गोवर्धन पर्वत को बताया जो सब कुछ निस्वार्थ भाव से देता है, लोग इस दिन से गोवर्धन पर्वत की पूजा करने।
क्योंकि गोवर्धन पर्वत से ही अन्न की प्राप्ति होती है इसलिए इस दिन को अन्नकूट पूजा के नाम से भी जाना जाता है।
इस दिन लोग अपने गायें/बैलों को भी सजाते है तथा गोबर का पर्वत बनाकर पूजा करते है ।

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