जानकारीयाँ

सच्चा प्रेम कैसा होता है

प्रेम………. ऐसा शब्द जिसमे सम्पूर्ण जीवन समाया हुआ है, भले ही वह मनुष्य का मनुष्य से प्रेम हो या भले ही मनुष्य का परमात्मा से.

प्रेम जिससे भी हो अगर वह एकदम सच्चा और स्वयं को प्रिय के समक्ष समर्पित करने वाला हो तो इस दुनिया में प्रेम के समर्पण से ऊपर कुछ भी नहीं. प्रेम भले ही एक अनुभूति है लेकिन यह एक ऐसी अनुभूति है जिसमे समर्पण यानी कि त्याग भी त्याग नहीं लगता. समर्पण करने से भी मानो सब कुछ मिल जाता है.

प्रेम…. ऐसा हो कि जबतक प्रियतम है, तब तक हम है, ऐसा न हो कि आज कोई और तो कल कोई और. सच्चे प्रेम में जो शक्ति है वह सिर्फ सच्चा प्रेमी ही जान सकता है. सच्चा प्रेम कैसा होता है इसी पर किसी ने क्या खूब लिखा है-

प्रीत न कीजिये पंछी जैसी जल सूखे उड़ जाए
प्रीत कीजिये मछली जैसी जल सूखे मर जाए.

अर्थात: प्रेम पंछी के जैसा टी कीजिये कि जिस स्थान पर जब तक जल है, वहां तभी तक रहे और जब जल सूखे तो उड़ जाये.

प्रेम करना है तो मछली जैसा कीजिये कि जब तक जल रहे मछली भी तभी तक रहे, अगर जल सुख जाए तो मछली भी मर जाती है.

यह भी पढ़े: दोस्ती का सच्चा अर्थ

सुनने/पढ़ने में भले ही आपको यह अजीब लगे

दोस्तों, सुनने/पढ़ने में भले ही यह आपको अजीब लगता होगा क्यूंकि आजकल सच्चाई किसी विरले में ही रह गयी है और जोकि देखने में भी कम ही मिलती है क्यूंकि प्रेम तो दूर कि बात आजकल तो लोग भगवान तक बदल देते है अगर एक दरबार से मुराद न पूरी हो तो उस भगवान के भी जाना छोड़ देते है तो फिर प्रेम तो है ही क्या चीज …?

लेकिन दोस्तों जैसा कि शुरू में ही मैंने कहा प्रेम जरूरी नहीं मनुष्य का मनुष्य से ही हो (आदमी का स्त्री से और स्त्री का आदमी से) बल्कि यह तो भगवान से भी हो सकता है, गुरु से भी हो सकता है. सच्चा प्रेम जिससे भी हो अगर वह एकदम सच्चा है तो आपको इस भवसागर से पार भी करवा सकता है. क्यूंकि सच्चे प्रेम में इतनी शक्ति है जोकि आप सोच भी नहीं सकते.

इसलिए प्रेम हो तो शाश्वत ही हो, यह नहीं कि आज कोई और तो कल कोई और.

Nikhil Jain

View Comments

  • Aapne bahut achi paribhasha di true love ki.Aaj kal yuva log true love ko jaante hi nhi.physical attraction,ghumna firna,shopping karna,gifts lena dena ,phone par meethi baatein karna,chat karna hi pyar lagta hai ladke-ladkiyon ko.jab mann bhar jata hai to koi aur ki talash mein nikal padte hai..

  • पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ पंडित भया न कोय
    ढ़ाई अक्षर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय।

  • जी हां बिल्कुल सही कहा है आपने
    धन्यवाद

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