है देश मेरा दुनिया मे न्यारा, नही है इस जैसा कोई और जहां प्यारा… कविता

Hai Mera Desh Duniya Me Nyara, Nahi Hai Is Jaisa Koi Aur Jaha Pyaara

है देश मेरा दुनिया मे न्यारा
नही है इस जैसा कोई और जहां प्यारा

मान है जन्मा हूँ भारत भूमि में
क्योंकि नही है इस जैसा इतिहास किसी ओर में

माना किया राज कईयों ने इधर आकर
पर टिक न सके ज्यादा समय यहां जान बचाकर

भारत माता के सपूतों को है यह भूमि जान से भी प्यारी
जान चली जाए पर सहन न हो इस भूमि में अंधियारी

इकलौती है यह धरती, जहां जन्म लिया महापुरषों ने
देख लो इतिहास दुनिया भर का खोल के

नतमस्तक हो इस भूमि के सामने देश दुनिया भर के
क्योंकि सीख है गुरुओं की यहां भर-भर के

पहुंची है दुनिया आज आधुनिक युग में
पर नही है खगोल विज्ञानी कोई आर्यभट्ट सा सृष्टि में

सूझ-बूझ की बात हो जहां कभी
कोई टाल न सके आज भी चाणक्य की नीति

दुश्मनों के कारण बंटी है यह भूमि कई बारी
पर हुई न कभी किसी के लिए भी माड़ी

दिया शरण हमेशा सभी को अपना समझ के
पूछ लो पारसी, अफगानी और तिब्बती से

नही है भेदभाव यहां पर कोई
मिलजुल कर रह लें हर कोई

धर्म है अनेकों अनेक यहां पर
फिर भी भाईचारा है यहां सर्वोपर

देखनी हो एकता अगर यहां कभी
तो देखलो देश की गली गली

धर्म हो सनातन, मुस्लिम या ईसाई
लेकिन सभी खेलेंगे मिलकर छुपन-छुपाई

मान है हूँ इस देश का नागरिक
क्योंकि नही है कोई इस जैसा दानवीर

वचन है यह कहे हुए महापुरषों के
मिले न यह देश बिन कर्मों के

नतमस्तक हूँ उन शहीदों के सामने
जिनके कारण रहे यह देश सदा सिर उठा के

करलो तुम भी मान
हो नागरिक इस देश महान के

क्योंकि कोई न है इस सा
सारे जहां से

जैसे मां-बाप हो चाहे थोड़े गरीब
नही छोड़ा जाता उनको कही पर

वैसे ही तनखाह हो चाहे थोड़ी कम
मत जाओ तुम दूर इस देश से पर

क्योंकि कर्तव्य है यह शहीदों के इलावा तुम्हारा भी
की कर गूजरों तुम भी इसके लिए कुछ भी

है यही दरख्वास्त निखिल की सभी से
मत करो दगा कभी इस भूमि से

सच्चे ज्ञान की पूंजी है सबसे ऊपर
जो न मिले इस धरती के इलावा कही पर

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Note: यह ज्ञान पूंजी पर निखिल जैन की रचना है ,लेखक की अनुमति के बिना किसी अन्य स्थान पर इसको कॉपी करके छापना , तोड़-मरोड़कर लिखना या अन्य किसी भी रूप में इस रचना को प्रकाशित करने की किसी को अनुमति नहीं है .

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