जरूरी नही किताबें पढ़कर ही सब कुछ सीखा जाए

Jaruri Nahi Kitabein Padhkar Hi Sab Kuch Seekha Jaye


जरूरी नहीं कि किताबें
पढ़-पढ़कर ही
सब कुछ सीखा जाए ,
कुछ बातें और कुछ सबक
हमारे सबसे करीबी ही हमे
सीखा जाते है ।

जिंदगी भी कितनी अजीब है दोस्तों ,हमे हमारे जो सबसे करीब लगता है अक्सर वही हमारा दिल तोड़कर चला जाता है । कोई लाख किताबें पढ़ ले ,चाहे कितना भी समझदार क्यों न बन जाए ,लेकिन जब सबसे करीबी ही हमे दगा देकर जाते है तो फिर सम्भलना मुश्किल ही नहीं ,नामुंकिन की तरह ही होता है ,लेकिन जिंदगी जीने के लिए सम्भलना तो पड़ता ही है पर दगा देने वाला दिल में हमेशा के लिए दर्द छोड़ जाता है ।