विश्व के सर्वश्रेष्ठ गुरु

 

Vishva Ke Sarvshresth Guru

 

कहते है कि गुरु ही ब्रह्मा है ,गुरु ही विष्णु भी है और गुरु ही भगवान शंकर है। गुरु को ही साक्षात परब्रह्म कहा गया है।

और जिन्होंने स्वयं परब्रह्म को ही गुरु माना हो, जो हर समय उनकी ही शरण मे रहकर ,उनकी ही बात को मानते हो, तो उनके तो कहने ही क्या?

कहते है कि सच्चे गुरु के बिना जिंदगी व्यर्थ है,जीवन मे किसी को जरूर गुरु मानना चाहिए और जिसका कोई गुरु नही,उसका कल्याण नही हो सकता। लेकिन मैं एक बात कहूंगा, अगर आपको दुनिया मे कोई गुरु न मिले ,आपको अगर लगे कि इस भव सागर से कल्याण कोई नही करा सकता तो आप उस निराकार परब्रह्म को ही गुरु मानिए।

सृष्टि के सृजनहार और संहारकर्ता वो परब्रह्म शिव ही है, जो सृष्टि के रचयिता है और अर्धनारीश्वर रूप धारण करके एक आत्मा को ही दो, और दो को ही बाद में एक सूत्र में बांधते है। जिनका ॐ शब्द स्वयं परब्रह्म है और ध्वनि हो, चाहे ध्वनि न हो,लेकिन यह शब्द हर समय और जगह सुनाई देता ही है, इसी से सब शब्दो, ध्वनियों का निर्माण हुआ, चाहे तो आजमा के देख लीजियेगा, हर शब्द में अकार,उकार और मकार की ध्वनि विद्यमान रहती ही है।

इसलिए अगर दुनिया मे कोई गुरु न मिले तो आप उस परब्रह्म निराकार शिव को गुरु मानिए और अपने जीवन का कल्याण करे ।

गुरु वही जो गुरुर मिटा दे,
शंकर वही जो शंकाएं मिटा दे।

अगर दुनिया मे कोई शंका मिटाने वाला आपको सच्चा गुरु मिल गया तो वो शंकर रूपी ही है, और अगर नही मिला तो बस उसी निराकार को गुरु मानिए और स्वयं उनके चेले बनकर दुनिया वालो की शंकाओं को निस्वार्थ रूप से दूर करे।